घोसुंडी शिलालेख राजस्थान इतिहास से संबंधित कुछ प्रमुख शिलालेखों में से एक है। घोसुण्डी शिलालेख भारतीय इतिहास के प्राचीनतम संस्कृत शिलालेखों में से एक है। यह शिलालेख वैष्णव धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। आज के आर्टिकल में आप जानेंगे कि घोसुंडी शिलालेख कहा है (ghosundi shilalekh kahan sthit hai) तथा घोसुंडी शिलालेख के बारे में और भी बहुत सारे रोचक तथ्य:
घोसुंडी शिलालेख कहा है / घोसुंडी शिलालेख कहां स्थित है?
घोसुंडी शिलालेख चित्तोड़गढ़ जिले के घोसुंडी गांव में स्थित था और वर्तमान में उदयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है। घोसुंडी गांव चित्तोड़गढ़ से लगभग 23 किलोमीटर दूर है।
घोसुंडी शिलालेख कब लिखा गया?
घोसुंडी शिलालेख राजस्थान में वैष्णव सम्प्रदाय से संबंधित प्राचीनतम शिलालेख है जो द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व का है।
घोसुंडी शिलालेख अश्वमेघ यज्ञ का प्रथम अभिलेखीय प्रमाण है।
घोसुंडी शिलालेख किस भाषा में है?
घोसुंडी शिलालेख संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इस शिलालेख में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है। घोसुंडी शिलालेख भारत के प्राचीनतम संस्कृत शिलालेखों में गिना जाता है।
घोसुंडी शिलालेख कब का है?
घोसुण्डी शिलालेख ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी का है। यह प्राचीनतम संस्कृत शिलालेखों में से एक है और यह लगभग शुंग काल के आस पास का है। इससे पता चलता है कि उस समय राजस्थान में वैष्णव धर्म का प्रभाव था।
घोसुंडी शिलालेख की खोज किसने की?
घोसुंडी शिलालेख की खोज किसने की ये तो निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है लेकिन घोसुंडी शिलालेख को सर्प्रथम डॉ. डी आर भंडारकर ने पढ़ा था। यह शिलालेखों कई खंडो में टुटा हुआ मिला था।
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घोसुंडी शिलालेख किस के बारे में जानकारी देता है?
घोसुंडी शिलालेख में गजवंश के शासक सर्वतात द्वारा (जो पाराशरी का पुत्र था) अश्वमेघ यज्ञ करवाने और विष्णु मंदिर की चारदीवारी बनवाने का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि यह शिला प्राकार भगवत की पूजा के निमित्त बनवाया गया है। घोसुंडी शिलालेख का महत्व प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में भागवत धर्म का प्रचार, संकर्षण तथा वासुदेव की मान्यता और अश्वमेघ यज्ञ के प्रचलन आदि में है। घोसुंडी शिलालेख राजस्थान में वैष्णव धर्म का प्राचीनतम प्रमाण है।
घोसुंडी शिलालेख किसने लिखा?
घोसुंडी शिलालेख पाराशरी के पुत्र राजा सर्वतात ने खुदवाया गया था, जिसमे सर्वतात द्वारा करवाए गए अश्वमेघ यज्ञ और विष्णु मंदिर की चारदीवारी बनाने का वर्णन मिलता है।
निष्कर्ष
आज के आर्टिकल में आपने जाना कि घोसुंडी शिलालेख कहा है (ghosundi shilalekh kahan sthit hai)? घोसुण्डी शिलालेख चित्तोड़गढ़ जिले के घोसुण्डी गांव के पास स्थित एक बहुत ही महत्वपूर्ण शिलालेख है। जो भगवान विष्णु की उपासना से जुड़ा है। इससे न केवल राजस्थान के धार्मिक इतिहास का ज्ञान होता है अपितु राजस्थान में भागवत धर्म की प्राचीनता का प्रमाण भी मिलता है।
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