राजस्थान एक मरुस्थलीय या रेगिस्तानी क्षेत्र है क्योंकि यहां का एक बहुत बड़ा भाग सूखाग्रस्त है और बहुत कम वर्षा प्राप्त करता है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में जहां साल भर रेत के तूफान उड़ते हैं और बारिश इतनी कम होती है कि पीने के लिए पानी भी लोगों को कई किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है। वही राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग के कई जिलों में अच्छी वर्षा देखने को मिलती है जो कि राजस्थान की औसत वार्षिक वर्षा की भी लगभग दुगनी है। आज के आर्टिकल में हम जानेंगे कि राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला जिला (Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila) कौनसा है और इस जिले में सर्वाधिक वर्षा के कारण क्या-क्या है?
Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila – झालावाड़
राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा के आधार पर देखा जाए तो झालावाड़ जिला राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला (Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila) है। झालावाड़ राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग में स्थित है जो कि मालवा के पठार का भाग है। झालावाड़ में औसतन हर साल 900 से 1,000 मिलीमीटर तक वर्षा होती है, जो राज्य की औसत वार्षिक वर्षा 570 मिमी से लगभग दोगुनी है।
झालावाड़ के बारे में कुछ महत्वपूर्ण भौगोलिक तथ्य
- झालावाड़, राजस्थान का सबसे दक्षिण-पूर्वी जिला है।
- यह जिला मुख्य रूप से चंबल बेसिन में आता है और चम्बल की कई सहायक नदियां जैसे- कालीसिंध और परवन इस जिले से होकर बहती है।
- झालावाड़ मालवा के पठार का उत्तर पूर्वी हिस्सा है।
- यहाँ की जलवायु अति-आर्द्र (Hyper-humid) है।
- यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 300–350 मीटर ऊँचाई पर स्थित है।
विभिन्न जिले और उनमें औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा (Rainfall Statistics)
| जिला | औसत वार्षिक वर्षा (मिलीमीटर में) |
|---|---|
| झालावाड़ | 90 – 100 cm |
| बारां | 80 – 90 cm |
| कोटा | 70 – 80 cm |
| उदयपुर | 65 – 75 cm |
| जयपुर | 60 – 65 cm |
| जैसलमेर | 10 – 15 cm |
उपरोक्त आंकड़ों से ज्ञात होता है कि झालावाड़ में जैसलमेर से लगभग 8 गुना अधिक वर्षा होती है।
झालावाड़ में अधिक वर्षा के प्रमुख कारण
1. भौगोलिक स्थिति (Geographical Location)
झालावाड़ राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित है। इस कारण यह दक्षिण-पश्चिम मानसून की दोनों शाखाओ से प्रभावित होता है। यह क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा दोनों से वर्षा प्राप्त करता है।
2. स्थलाकृति का योगदान
झालावाड़ में बहुत सारी नदियां बहती है तथा यहां वनस्पति भी घनी है। इस कारण यहां स्थानीय आर्द्रता अधिक रहती है। इस प्रकार की स्थलाकृतियां मानसूनी हवाओं को अधिक आकर्षित करती है।
3. नमी की अधिकता
इस क्षेत्र में अनेक नदियां बहती है जैसे- कालीसिंध, परवन, उजाड़ और आहु। इसके कारण यहां वायु में नमी की मात्रा अधिक रहती है जिससे बादलों का घनत्व बढ़ता है और बारिश अधिक होती है।
4. वनस्पति की सघनता
झालावाड़ में घनी वनस्पति और सघन वन है जो वाष्पीकरण को बढ़ाते है। इससे हवा में नमी बढ़ती है और वर्षा अधिक होती है।
झालावाड़ की प्रमुख फसलें
- सोयाबीन
- धान (चावल)
- गेहूँ
- चना
- मक्का
- सरसों
क्या माउंट आबू सबसे ज़्यादा बारिश वाला नहीं है?
इस कारण सर्वाधिक वर्षा वाला जिला सिरोही होना चाहिए क्योंकि माउन्ट आबू सिरोही जिले में है लेकिन हमें Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila पूछा गया है और जब राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला पूछा जाये तो औसत वर्षा की बात होती है और सिरोही जिले की औसत वार्षिक वर्षा झालावाड़ जिले से कम है।
Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila - Quick Facts
- राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला - झालावाड़
- राजस्थान में सबसे कम वर्षा वाला जिला - जैसलमेर
- राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान - माउंट आबू (सिरोही)
- राजस्थान में सबसे कम वर्षा वाला स्थान - सम (जैसलमेर)
- माउंट आबू को राजस्थान का बर्खोयान्स्क भी कहा जाता है क्योंकि यह राजस्थान का सबसे ठंडा स्थान है। बर्खोयान्स्क रूस में स्थित एक स्थान है जिसे विश्व का सबसे ठंडा स्थान माना जाता है।
निष्कर्ष
अब आपको समझ में आ गया होगा कि राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला (Rajasthan Me Sarvadhik Varsha Wala Jila) कौन सा है और राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ क्यों है यदि आपको हमारा यह आर्टिकल उपयोगी लगा है तो हमें कमेंट करके जरूर बताइए और आपके मन में कोई और सवाल है तो उसे भी कमेंट में जरूर पूछे।
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